राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह, जहां भारतीय ज्ञान परंपरा की जड़ों और उसके निरंतर विकास पर गहरा मंथन हुआ! कुलाधिपति श्री संतोष चौबे जी ने बताया कि इसका अंतिम लक्ष्य ब्रह्मज्ञान है। डॉ. भरत शरण सिंह ने NEP-2020 को इसी परंपरा की आत्मा कहा। प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने इसे एक निरंतर प्रवाहित धारा बताया, जबकि डॉ. सुप्रिया पाठक ने लोक परंपरा और स्त्री विमर्श के महत्व पर जोर दिया। सचमुच, यह ज्ञान कोई स्थिर पुस्तक नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रवाह है, जो सदियों से हमें सही राह दिखा रहा है।